
विश्व में एक ओर जहाँ चीन एवं अमेरिका में विश्वशक्ति बनने की होड़ लगी है, भारत तकनीकी फ्रंट पर कही भी खड़ा नज़र नहीं आ रहा है, चीन का ग्लोबल पावर बनने का सपना भांपकर, उसका विकास प्रतिरोधित करने के लिए अमेरिका कई वर्षो से चीन पर प्रतिबन्ध बड़ा रहा है, कही ड्यूटी लगा रहा है, कभी नयी तकनीक ओर सेमीकंडक्टर चिप देने से मना कर रहा है पर इसके बावजूद भी चीन सिक्स्थ जनरेशन फाइटर जेट से लेकर अंतरिक्ष में स्टेशन स्थापित करने के साथ, क्वांटम कंप्यूटर और अब आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में अमेरिका को पीछे छोड़ रहा है |
इस दौड़ में भारत कहाँ है ?? कही नहीं.. क्यों ? हमारी यूनिवर्सिटीज में वही घिसा पीटा एजुकेशन मॉडल चल रहा है, कहने को AI, क्वांटम आदि के तकनीकी हब बना दिए गए है, पर इनको चलाने वाले ब्यूरोक्रेट्स ओर अधिकारीयों का न तो कोई फोकस और जवाबदारी दिखती है न ही उनको किसी का डर है | आख़िर जब चापलूसी से नौकरी और प्रमोशन मिल रहा हो तो काम क्यों करना है | सरकार बदलती है पर सरकारी ढर्रा वही बना रहता है | जो थोड़े बहुत काम करने वाले प्रतिभाशाली कर्मचारी है वो भी इसी सिस्टम में ढल जाते है या इसका शिकार हो जाते है |
जहाँ एक और चीन में एक छोटे से स्टार्टअप DeepSeek ने मात्र 6 मिलियन डॉलर के निवेश से बहतरीन जनरेटिव मॉडल बनाकर, अमेरिका के टेक्नोलॉजी स्टॉक मार्किट और अहंकार को एक ही झटके में रास्ते पर ला दिया है भारत में दूर दूर तक ऐसा कोई प्रयास भी नज़र नहीं आता | जहाँ सरकार कुछ करती दिखती भी है वहां सरकारी तंत्र जस का तस है – “अजगर करे न चाकरी, पंछी करे न काम, दास मलूका यूँ कहे सब के दाता राम ” वाली कहावत हर जगह चरितार्थ हो रही है
सरकार जब तक खुले मन और ईमानदारी से टेक्नोलॉजी को तवज़्ज़ो नहीं देंगी, दागी और अकर्मण्य अफसरों, अधिकारीयों और कर्मचारियों की छुट्टी नहीं करेगी , हम हर क्षेत्र में पिछड़ते रहेंगे | आज आवश्यकता है कि विज्ञान, तकनीक, शिक्षा, विकास, इंफ्रास्ट्रक्चर आदि महत्वपूर्ण क्षेत्रों में जहाँ भी जरूरत है, पर काम आगे नहीं बढ़ रहा है, वहां प्राइवेट सेक्टर से नियुक्तियां की जाये, शिक्षा के क्षेत्र में सुधार और निवेश के साथ लक्ष्य स्थापित कर मॉनिटरिंग की भी जरूरत है |
यहाँ भी सरकार को सही मायने में निजी उद्योगों/इंडस्ट्रीज और यूनिवर्सिटीज को साथ में लेकर लक्ष्य निर्धारित और हांसिल करना है | आख़िर कब तक देश और देशवासी गैरजिम्मेदार और अयोग्य अधिकारियो के कारण दुसरो देशो पर निर्भर बने रहेंगे | अमेरिका हो या चीन, जब हम जनसंख्या और बुद्धि बल में किसी से कम नहीं तो क्यों हम नंबर एक की दौड़ में कही खड़े भी नहीं हो पा रहे है ? आख़िर कब तक इस भ्रष्ट और असक्षम सिस्टम के कारण भारत माता को शर्मिंदा होना पड़ेगा ?
नीरज गुप्ता : विज्ञान सूत्र के लिये