क्या हमारी सरकार ने सोचा है कि एक ज़माने के विश्व गुरु रहे और सबसे पुरानी सभ्यता वाले हमारे भारत देश के नागरिक, अमेरिका में अवैध प्रवासी के रूप में बसने के लिये जिंदगी भर की कमाई लुटा, लाख जोखिम और मुश्किलें उठाने को तैयार हो जाते है ?? इसके दो कारण है एक तो जूठी शान और दूसरा भारत का भ्रष्टाचार से भरा सरकारी तंत्र, बिगड़ा हुआ एजुकेशन सिस्टम, अवसरों की कमी, VIP कल्चर और सरकार की नकारात्मकता, इन्ही दो कारणों के चलते, भटके हुए यह लोग अवैध घुसपैठ कराने वाले गिरोहो के चुंगल में फँस जाते है | यही भारत के नागरिक यदि अपने देश के सिस्टम को सुधारने में अपनी ऊर्जा लगाये, साफ़ और निष्पक्ष रूप से नागरिको के मुद्दे और देश हित हेतु अपने ही देश में पूर्ण समर्पण से कार्य करे तो समाज और देश का हुलिया बदलने में ज्यादा समय नहीं लगेगा |
अपने देश में जो भी कमी है , जो समस्याएं है वह हमें ही सुधारनी होगी कोई बाहर से नहीं आएगा , अमेरिका के राष्ट्रपति या उनके इमीग्रेशन को दोष देने से अच्छा कि हम इस पर विचार करे कि क्यों हम उनको (अमेरिका को) अपने से श्रेष्ठ मानते है ?
अपने देश में ससम्मान जीवन जीने कि बजाय झूठी शान से भ्रमित होकर दूसरे देश में अपमानित जीवन जीने, गोरो के जूते, बर्तन साफ़ करने, और चाटुकारिता के उस जीवन को श्रेष्ठ मानने वाले इन लोगो को समझना होगा की हमारा 140 करोड़ दिमागों का देश, न तो औसत IQ , और न ही किसी काबिलियत में अमेरिकियों से कम है, उल्टा अमेरिका में लोगो के पारिवारिक जीवन का स्तर गिरता जा रहा है , वहां ना माँ बांप को बच्चो की फिक्र है , ना बच्चो को माँ बांप की, ना पति को पत्नी के जीवन से मतलब है ना ही पत्नी को पति के, दूसरी तीसरी शादी करना फैशन है, मानसिक रूप से व्यथित अमेरिकी गैजेट्स, गन खरीद कर ही अपने को सुखी मने हुए है, असली सच्चाई से कोंसो दूर यही उनके जीवन जीने का पैमाना है | ऐसे भटके हुए देश में अवैध प्रवासी के रूप में बसने के लिये अपनी जीवन की कमाई लुटा देने में कोई समझदारी नहीं है |
वैसे सरकार भी उतनी ही जिम्मेदार है और अपना पल्ला नहीं झाड़ सकती, कैसे ये अवैध घुसपैठ करने वालो अपना धंधा इतनी आसानी से चला रहे है , क्यों हमारे एजुकेशन सिस्टम को सही नहीं किया जा रहा है, क्यों बेरोजगारी चरम पर है ? कितने चापलूस और भ्र्ष्ट अधिकारियो और कर्मचारियों को निकाला गया ?? कितनो पर कार्यवाही हुई ?? जहाँ देखो नदी, नालो, तालाबों की सफाई, टूटते बांध, पूल, घटिया निर्माण के रूप में पब्लिक के पैसो की खुली लूट हो रही है, बिना कमीशनखोरी के कोई काम नहीं होता, अधिकारियो के तेवर कम नहीं हो रहे , खुलेआम पैसा माँगा जाने लगा है आखिर कब तक भ्रष्टाचार का यह दीमक देश को अंदर से खाता रहेगा और आम नागरिक परेशान हो अपने ही देश में पराया महसूस कर इससे भागने की सोचता रहेगा |

विज्ञान सूत्र के लिये – अमेय कुमार