क्वांटम कंप्यूटिंग के क्षेत्र में कैसे बन सकता है भारत महारथी
क्वांटम कंप्यूटिंग पर विगत 15 वर्षो से अलख जगाये रखने वाले शिक्षाविद, खोजकर्ता, शोधकर्ता और आईटी एक्सपर्ट श्री जयेश पाराशर द्वारा इस विषय के महत्व पर दिल्ली IIT में DRDO/DFTM द्वारा आयोजित सेमिनार में 27 नवंबर को व्याख्यान दिया गया, जहाँ उन्होंने भारत को इस विषय में महारथी बनाने की दिशा में क्वांटम इकोसिस्टम, क्वांटम एजुकेशन, क्वांटम सेंसर्स, नयी क्वांटम अलगोरिथ्म्स और आधारभूत सिद्धांतो पर पकड़ मजबूत करने के तरीके बताये, उनकी फेसबुक पोस्ट यहाँ शेयर करते हमे गर्व महसूस हो रहा है, जय हिन्द

इस सप्ताह DRDO/DFTM द्वारा क्वांटम कंप्यूटिंग पर आयोजित सेमिनार में कई साथी शोधकर्ताओं, सशस्त्र बलों के सम्माननीय अधिकारियों, शिक्षाविदों और उद्योग विशेषज्ञों से मिलना एक शानदार अनुभव था।
यह जानकर अच्छा लगा कि DRDO/DFTM/NQM के प्रभारी नृतत्व द्वारा इस क्षेत्र प्रभावशाली प्रगति हुई है ,साथ ही हमारी Defense forces में भी इस टेक्नोलॉजी और उसकी क्षमताओं को लेकर अपेक्षाओं बढ़ रही है | हालांकि, जैसा कि मैंने अपने talk में कई बार कहा है, कि हमे क्वांटम तकनीक के द्वारा लाये जा रहे Disruptions और इसके कारण निर्मित हर अच्छे अवसर (Opportunities) को खोजने में लगातार नये प्रोएक्टिव तरीको से सोंचना होगा ।
एक राष्ट्र के रूप में हमें एक ऐसा Ecosystem विकसित करना है जो हाईस्कूल स्तर से ही क्वांटम शिक्षा को बढ़ावा दे, हमें Domain और Product SME की मदद लेनी होगी, उद्योग विशेषज्ञों, निजी संगठनों और संस्थानों से मदद लेने में संकोच नहीं करना है । दुर्भाग्य से हम क्वांटम कंप्यूटिंग के क्षेत्र में अन्य राष्ट्रों से बहुत पीछे हैं, लेकिन इस अंतर को भरना संभव है, बशर्ते सरकार सक्रिय रुचि ले और यह सुनिश्चित करे कि सही नीतियों और प्रतिभाओं को ही समय पर काम करने की जिम्मेदारी दी जाए।
मैं इस यात्रा के दौरान कर्नल (रिटायर्ड) श्री साई श्रीकर वेंट्राप्रगदा , श्री एल वेंकट सुब्रमण्यम (IBM Researcher, Quantum Head), श्री राजेश चंदवानी (Advisor Make in India Defence Project), मैडम जॉय घोष (IIT Delhi) और अन्य मित्रों का आभारी हूं जिन्होंने अपना कीमती समय लगाकर इस कार्यक्रम को सफल बनाया, जय हिन्द , जय भारत
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