मायोराना 1, कंप्यूटर प्रोफेशनल्स के लिए बेहद जरूरी है भौतिकी और गणित का कोर ज्ञान

पिछले कुछ माह में क्वांटम कंप्यूटर, उनके प्रैक्टिकल उपयोग, समयसीमा आदि पर बहुत से विवाद, क्रॉस स्टेटमेंट, स्टॉक मूल्य में उतार-चढ़ाव के बाद, Microsoft ने आज अपनी तरह के पहले ” टॉपोकंडक्टर क्वांटम प्रोसेसर – मायोराना 1″ के निर्माण की घोषणा की है, इस क्वांटम प्रोसेसिंग यूनिट (QPU), में वर्तमान में आठ टोपोलॉजिकल क्यूबिट है, जिसके बारे में Microsoft का दावा है कि इसे दस लाख क्यूबिट तक बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

जहाँ एक मिलियन-क्यूबिट क्वांटम कंप्यूटर बनाने की दौड़ पहले से ही चल रही है, एक और कंपनी हुआ PsiQuantum 2027 तक अपने फोटोनिक्स आर्किटेक्चर का उपयोग करके इसे बनाने की घोषणा कर चुकी है |

उपयोगी होने के लिए, एक क्वांटम कंप्यूटिंग आर्किटेक्चर के पास तीन अच्छे ‘S’ कारक होना चाहिए – स्केलेबिलिटी (scalability), स्थिरता (stability) और स्पीड | इन्ही पैरामीटर्स को ध्यान में रखते हुए Microsoft लम्बे समय से अपने टोपोलॉजिकल क्यूबिट अनुसंधान और विकास कार्यक्रम पर बड़े पैमाने पर काम कर रहा है, यह अब Microsoft के इतिहास में कंपनी का सबसे लंबा चलने वाला शोध कार्यक्रम है। यदि उन्होंने आज मायोराना क्वासिपार्टिकल्स के कार्यान्वयन और नियंत्रण के बारे में जो दावा किया है, वह सच है, तो क्वांटम कंप्यूटर पर Error सुधार का बड़ा ओवरहेड बहुत कम हो सकता है।

मायोराना एक अर्धकण (Quasi particle) है, Quasi पार्टिकल या अर्धकण असल में इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और अन्य मूलभूत कणों की तरह वास्तविक नहीं होते पर यह मूलभूत कणों के बीच होने वाली जटिल अंतःक्रियाओ के प्रभाव को दर्शाने में सहायक होते है, ऐसी एक सरल घटना का उदाहरण एक होल “Hole” है, जो सॉलिड क्रिस्टल में इलेक्ट्रॉनों की अनुपस्थिति के अलावा और कुछ नहीं है, हालांकि Hole एक धनात्मक आवेशित कण की तरह व्यवहार करता है। मायोराना Quasiparticle, होल से अधिक जटिल हैं, लेकिन बहुत उपयोगी भी हैं, क्योंकि यह विभाजित व्यक्तित्व (split personality) को दर्शाता है, जिसका अर्थ है कि यह पार्टिकल एक ही समय में आधा इलेक्ट्रॉन और आधा होल हैं, इस असामान्य संरचना को मायोराना जीरो मोड कहा जाता है, जो कुछ एक दिशीय क्वांटम पदार्थो में शुन्य आईगन वैल्यू वाले आईगन स्टेट है|

पिछले कुछ वर्षों में, Microsoft ने इंडियम आर्सेनाइड और एल्युमिनियम से एक बहुत ही पतला सुपरकंडक्टिंग “नैनोवायर” बनाने पर ध्यान केंद्रित किया, आमतौर पर हमें सुपरकंडक्टर में कोई भी अयुग्मित (unpaired) इलेक्ट्रॉन नहीं मिलता है, क्योंकि इलेक्ट्रॉन पेयर्स में ही रहते है, लेकिन अपने टोपोलॉजिकल गुणों के कारण, सही परिस्थितियों में, इस नैनोवायर में इलेक्ट्रॉन का अयुग्मित रहना संभव है, इस स्थिति में इस मायोराना क्वासिपार्टिकल का प्रत्येक आधा भाग नैनोवायर के दोनों छोर पर मौजूद रहता है। एक बार मायोराना जीरो मोड कहलाने वाली इन जटिल स्थिति को बनाने के बाद इसको नष्ट करना बहुत मुश्किल होता है, और इसी कारन इस पार्टिकल की मदद से वे क्वांटम संगणनाओं को स्थिरता से पूर्ण किया जा सकता है ।

मायोराना 1 पर माइक्रोसॉफ्ट द्वारा की गयी आज की घोषणा, सभी उद्योगो के लिए बहुत प्रोत्साहान से भरी और उत्साहजनक है, हालाँकि मायोराना कणों का पता लगाने का माइक्रोसॉफ्ट का 2018 में किया गया एक दावा असफल रहा और उससे इस पर पेश किया गया अपना रिसर्च पेपर वापस लेना पड़ा था । पर आज क्वांटम कम्युनिटी बहुत आशान्वित है और बहुत जल्द एक मिलियन-क्यूबिट वाले इस क्वांटम प्रोसेसर बनाने के लिए माइक्रोसॉफ्ट, उनके भौतिकविदों और इंजीनियरों को शुभकामनाएं देता है। आज इस घोषणा के बाद माइक्रोसॉफ्ट के शेयर की कीमत में 1.25% की वृद्धि दर्ज़ की गयी ।

माइक्रोसॉफ्ट द्वारा लांच किया गया टोपोकंडक्टर क्वांटम कंप्यूटर मायोराना 1, यह सिद्ध कर रहा है कि आने वाले समय में सॉफ्टवेयर और कंप्यूटिंग की दुनिया में भौतिकी और गणित का कोर ज्ञान होना बेहद जरूरी है, चाहे फिर वो ऑप्टिक्स हो , सुपरकंडक्टिंग, टोपोलॉजी, या सॉलिड स्टेट फिज़िक्स, भारत सरकार का फोकस छात्रों को इन विधाओं में पारंगत बनाना होना चाहिए जो कि दुर्भाग्य से कही भी नज़र नहीं आ रहा है |

श्रीमती नीलम परशर – विज्ञान सूत्र के लिए